खुशियों से मुझको कुछ यूं हुईं नफ़रत, फिरता हु गैरो का भी गम तलास्ता
ना छेड़ गमों के तराने कोई और बात कर💔 हमसे बेहतर गमों से वाकिफ है कोन ..
बदलते तौर तरीके देखे देखिए तो चेहरा उतर गया है कोई कमी मुझमें ही या दिल तेरा ही भर गया
हम गैरों के गम अपनाकर जीते है, जाम ज़हर जुदाई छुपाकर पीते है, मत पूछिए कैसे सीए जख्म दिल के, तेरे आने की उम्मीद जगाकर जीते है।।
चाहत थी मोहोबत की वो तो दर्द सीने में डाल गए गए थे पहनाने पायल उसे अपने हाथों से देखा गैर की बाहों में तो मेरे हाथ कांप गए